क्या है हम एक शब्द या जबान के गुलाम, और यहाँ तक की रोटी के एक टुकड़े तक के गुलाम बन गए है, "यह कितनी लज्जा की बात है"
और फिर भी हम अपने आप को आत्मा कह कर पुकारते है, परन्तु इसे आत्मा कहलाने का कोई लाभ नहीं ' हम इस संसार के गुलाम है ।
अगर हमें इस गुलामी से निकलना है तो हमें अपने मन में किसी भौतिक या मानसिक सुख भोग का चिंतन में नहीं लगाना चाहिए ,
"" केवल परमात्मा की ओर अपने मन को लगाना चाहिए।